✍️ व्यंग्य और प्रेरणा से भरपूर लेख | लेखक: ताराचन्द खोयडावाल
💔 प्रस्तावना: दिल बनाम दिमाग की जंग
आजकल सोशल मीडिया पर एक छात्र की पोस्ट ने सबका ध्यान खींच लिया।
वह लिखता है —
“सर, देवउठनी एकादशी को मेरी VDO परीक्षा है, और उसी दिन मेरी GF की शादी है… कैसे मैनेज करूं समझ नहीं आ रहा 😢”
यह वाक्य केवल मज़ाक नहीं, बल्कि आज के युवाओं की “दिल-दिमाग की जंग” की सच्ची तस्वीर है।
एक ओर है करियर का सवाल, दूसरी ओर कपल की कहानी — और बीच में बेचारा छात्र, जो समझ नहीं पा रहा कि "एग्ज़ाम हॉल जाए या बारात हॉल?" 😅
💡 जवाब में आई ज़िंदगी की सबसे बढ़िया सीख
IAS अधिकारी आलोक राज का जवाब आया — और उसने सोशल मीडिया को हंसी और सीख दोनों दे दीं।
उन्होंने लिखा —
“मतलब आपकी GF की शादी किसी और से हो रही है, दुःखद है, मगर फिर बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना क्यों बनना भाई?
VDO एग्ज़ाम पर फोकस करो, आपकी भी जीवन संगिनी मिल जाएगी।”
यही तो असली बात है!
हम अक्सर दूसरों की कहानी में इतने खो जाते हैं कि अपनी किताब के पन्ने पलटना भूल जाते हैं।
जिंदगी में कोई भी “GF” या “BF” हमें रोक नहीं सकता अगर हम “Goal Focused” हैं।
🎯 असली परीक्षा दिल की नहीं, धैर्य की होती है
हर युवक-युवती के जीवन में ऐसा पल आता है जब दिल टूटता है, दोस्त दूर जाते हैं या हालात बदल जाते हैं।
पर असली हीरो वही है जो उस दर्द को ताकत बना लेता है।
“अब्दुल्ला दीवाना” बनने से अच्छा है “अब्दुल्ला अफसर” बन जाओ! 😎
💬 एक व्यंग्य में छिपी प्रेरणा
आलोक राज का जवाब जितना मजेदार है, उतना ही गहरा भी।
यह याद दिलाता है —
“जो गया, वो अच्छा था;
जो आने वाला है, वो और अच्छा होगा;
बस बीच का वक्त मेहनत में लगाओ।”
अगर “वो” आपकी किस्मत में होता, तो “एग्ज़ाम डे” नहीं, “वेडिंग डे” का टकराव कभी नहीं होता।
तो जनाब, दिल पर नहीं, दिमाग पर हाथ रखिए —
पढ़िए, बढ़िए, और पास होकर बैंड, बाजा, बारात अपने लिए बजाइए! 🎉
ज़िंदगी में हर किसी की शादी किसी न किसी “ड्रीम” से होती है —
किसी की डिग्री से, किसी की ड्यूटी से, और किसी की डेस्टिनी से।
तो अगली बार अगर कोई “GF” किसी और से ब्याह ले जाए,
तो उदास मत होना भाई,
वो तुम्हारा लॉस नहीं, उसकी गलती है — उसने भावी अफसर को छोड़ दिया! 😉
