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खैरथल जिले का बड़ा स्कैम : नव अंश कंपनी का धोखा, मजदूर–किसानों के सपनों पर कुठाराघात

खैरथल जिले का बड़ा स्कैम : नव अंश कंपनी का धोखा, मजदूर–किसानों के सपनों पर कुठाराघात

खैरथल जिले का बड़ा स्कैम : नव अंश कंपनी का धोखा, मजदूर–किसानों के सपनों पर कुठाराघात

खैरथल जिले के निकटम गांव मातौर में वर्षों से एक तथाकथित कंपनी "नव अंश" के नाम पर गरीब, मजदूर और किसानों से धोखाधड़ी किए जाने का मामला उजागर हुआ है। इस कंपनी ने स्थानीय लोगों को अधिक ब्याज व मुनाफे का झांसा देकर करोड़ों रुपये हड़प लिए। मामला अब पुलिस के संज्ञान में आने के बाद तूल पकड़ चुका है।


कैसे हुआ घोटाला?

  • कंपनी ने फिक्स्ड डिपॉजिट व निवेश योजनाओं के नाम पर ग्रामीणों को फंसाया।
  • कहा गया कि मजदूर और किसानों की पूंजी पर बैंक से 2 से 3 गुना अधिक ब्याज मिलेगा।
  • लोगों को बार-बार "लाभांश" और "सुरक्षित निवेश" का झांसा दिया गया।
  • शुरुआत में कुछ लोगों को समय पर पैसा देकर विश्वास जीता गया, उसके बाद हजारों–लाखों रुपये डुबो दिए।

बड़ा हादसा : कर्मचारी ने की आत्महत्या

जानकारी के अनुसार कंपनी में कार्यरत एक व्यक्ति ने जब धोखाधड़ी और दबाव के बीच खुद को घिरा पाया, तो रेलवे ट्रैक पर कटकर आत्महत्या कर ली। यह घटना पूरे इलाके में सनसनी का विषय बन गई है।


पुलिस की कार्यवाही

  • थाना खैरथल पुलिस ने कंपनी से जुड़े एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है।
  • अन्य आरोपी फरार बताए जा रहे हैं
  • आने वाले दिनों में और बड़ा खुलासा होने की संभावना जताई जा रही है।

कानूनी पहलू व प्रासंगिक धाराएँ

  1. भारतीय दंड संहिता (IPC) 
    धारा 306 – आत्महत्या के लिए उकसाना।धारा 120B – आपराधिक साजिश।
    धारा 406/409 – विश्वासघात और संपत्ति का दुरुपयोग। 
    धारा 420 – धोखाधड़ी व बेईमानी से संपत्ति हड़पना।
    प्राइज चिट्स एंड मनी सर्कुलेशन स्कीम (बैनिंग) एक्ट, 1978 
    इस अधिनियम के अंतर्गत किसी भी अवैध मनी सर्कुलेशन स्कीम या धोखाधड़ीपूर्ण चिट फंड चलाना पूर्णतः प्रतिबंधित है।
    भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 एवं कंपनियों अधिनियम, 2013 
    इस प्रकार की कंपनियाँ NBFC या बैंकिंग कंपनी नहीं होतीं, अतः उनकी योजनाएँ गैरकानूनी मानी जाती हैं।
    बिना लाइसेंस या रजिस्ट्रेशन के डिपॉजिट स्कीम चलाना अपराध है।
    बेनामी लेन-देन निषेध अधिनियम, 1988 
    यदि कंपनी ने फर्जी नाम से संपत्ति खरीदी या पैसा निवेश किया तो यह अधिनियम लागू होगा।

मजदूर–किसानों पर असर

  • जिन लोगों ने अपनी जीवन भर की जमा पूंजी कंपनी में लगाई, वे अब कंगाली के कगार पर हैं।
  • गरीबों का कहना है कि "सरकार और प्रशासन समय रहते कार्रवाई करता, तो आज यह हाल न होता।"

प्रशासन व सरकार की जिम्मेदारी

  1. राज्य पुलिस को आरोपियों की गिरफ्तारी और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए तेज़ कार्रवाई करनी चाहिए।
  2. जिला प्रशासन को कंपनी की संपत्तियों को जब्त कर मजदूर–किसानों के नुकसान की भरपाई का रास्ता निकालना चाहिए।
  3. वित्तीय साक्षरता अभियान चलाकर ग्रामीणों को जागरूक करना होगा ताकि भविष्य में कोई भी झूठे ब्याज के लालच में न फंसे।

खैरथल जिले के मातौर गांव का यह घोटाला सिर्फ एक कंपनी की ठगी नहीं है, बल्कि यह मजदूर–किसानों के विश्वास और भविष्य से खेला गया एक बड़ा अपराध है।
सरकार व कानून को चाहिए कि ऐसे फर्जी निवेश गिरोह पर कड़ी कार्रवाई कर पीड़ितों को राहत दे और आगे ऐसे घोटालों पर रोक लगाए।

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