क्या है फैसला?
➡️ पंचायत समितियों, नगरपालिकाओं और नगर निगमों की सीमाओं का पुनर्निर्धारण होगा।
➡️ शहरी निकायों और पंचायती राज संस्थाओं के पुनर्गठन से चुनावी प्रक्रिया को एकसमान बनाया जाएगा।
➡️ इसके बाद पंचायत व निकाय चुनाव विधानसभा और लोकसभा चुनाव के साथ कराने का रास्ता साफ होगा।
क्यों है यह अहम?
राजस्थान सरकार लंबे समय से राज्य में ‘वन स्टेट, वन इलेक्शन’ लागू करने की दिशा में प्रयासरत थी। मुख्यमंत्री के इस निर्णय के बाद अब यह लक्ष्य और नजदीक आ गया है।
इस व्यवस्था के लागू होने से –
- बार-बार होने वाले चुनावों पर लगने वाले भारी खर्च में कमी आएगी।
- प्रशासनिक मशीनरी पर पड़ने वाला अतिरिक्त बोझ घटेगा।
- जनता को बार-बार चुनावी प्रक्रिया से गुजरने की परेशानी से राहत मिलेगी।
मुख्यमंत्री की भूमिका
मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि यह कदम राज्य के लोकतांत्रिक ढांचे को और सशक्त करेगा। एक साथ चुनाव कराए जाने से विकास कार्यों में तेजी आएगी और जनता का समय व संसाधन दोनों की बचत होगी।
आगे की राह
सब-कमेटियों की रिपोर्ट पर मंजूरी मिलने के बाद अब राज्य निर्वाचन आयोग को परिसीमन और पुनर्गठन की औपचारिक प्रक्रिया शुरू करनी होगी। इसके बाद निकट भविष्य में राजस्थान देश का पहला ऐसा राज्य बन सकता है, जहां पंचायत, निकाय, विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ कराए जाएंगे।